Google pe name nahin hai Part 6

Google pe name nahin hai Part 6 जब दीवारें बोलने लगीं

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रात के उस गहरे सन्नाटे में “उम्मीद शाला” की मिट्टी की दीवारें अचानक बोझिल लगने लगीं। बाहर से आती सायरन की आवाज़ें पास आते भेड़ियों के झुंड जैसी थीं — हर सेकंड और नज़दीक। बच्चों की आँखों में डर से ज़्यादा सवाल थे, और यही सवाल ही Ghost Cell की सबसे बड़ी हार थे। इहान ने कैमरे की लाइट दीवार पर टिकाई, और रिकॉर्डिंग चालू रखी।

अगर हम बचे या नहीं, ये अब मायने नहीं रखता,” उसने धीरे से जुनैद से कहा, “लेकिन ये दीवारें आज गवाह बन चुकी हैं कि इस देश का सच सिर्फ़ कागज़ में नहीं, मासूम चेहरों में भी लिखा है।जुनैद ने फुसफुसाकर जवाब दिया, “तेरा कैमरा ही अब बंदूक है इहान, और ये बच्चे इसकी गोलियाँ। लेकिन याद रख… गोलियों से डर फैलता है, और इनसे उम्मीद।” दोनों की नज़रें मिलते ही बाहर अचानक गोलियों की बौछार शुरू हो गई। पुलिस और नकाबपोश एजेंट्स ने स्कूल को घेर लिया था।

धुएँ के बीच एक काली परछाई और साफ़ दिखने लगी — वही साया। इस बार उसके हाथ में कोई डिवाइस नहीं, बल्कि एक वॉकी-टॉकी था। उसकी आवाज़ ठंडी और स्थिर थी: “ऑपरेशन शुरू करो। कोई बाहर न निकले।”

इहान के सीने में डर और ग़ुस्सा दोनों एक साथ उठे। उसने कैमरे को बच्चों की ओर घुमाया और कहा, “ये वो चेहरे हैं जिन्हें मिटाने के लिए तुम आए हो। लेकिन जान लो — मिटा दोगे तो भी ये सवाल तुमसे पीछा नहीं छोड़ेंगे।” बच्चों ने जैसे इहान की हिम्मत को अपने अंदर खींच लिया। कोई फुसफुसाया, “सर, हमें डर नहीं लगता।” कोई बोला, “अगर सच बोलना गुनाह है, तो हमें सज़ा मंज़ूर है।”

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जुनैद ने तुरंत उन्हें तहख़ाने के एक गुप्त रास्ते की ओर इशारा किया — वही रास्ता जिससे कई साल पहले उसने यहाँ की दीवारें बनाई थीं। बच्चों को धीरे-धीरे अंदर भेजा जाने लगा। तभी बाहर एक ज़ोरदार धमाका हुआ — बिजली का आख़िरी खंभा भी गिरा दिया गया। पूरा इलाक़ा अंधेरे में डूब गया।

लेकिन इस अंधेरे में, कैमरे की लाल झिलमिल लाइट अब भी जल रही थी। साया ने जैसे उसी रोशनी को देख लिया हो। वो दरवाज़े पर आ खड़ा हुआ। उसकी परछाई दीवार पर फैल गई — इतनी बड़ी कि लगता था पूरी “उम्मीद शाला” उसी ने निगल ली हो।

इहान ने पहला क़दम उसकी तरफ़ बढ़ाया। डर अब उसके पीछे छूट चुका था। “अगर तुझे मिटाना है, तो पहले इस कैमरे को तोड़ना होगा,” उसने कहा। साया ने कोई जवाब नहीं दिया। लेकिन उसकी खामोशी में ही एक घातक वादा था।

इसी बीच, बच्चों को तहख़ाने में पहुँचाने वाली सबा अली वापस ऊपर आईं। उन्होंने इहान से कहा, “अब या तो भागो, या फिर यहीं खड़े होकर इतिहास लिखो। ये जगह अब सिर्फ़ स्कूल नहीं रही… ये आने वाली पीढ़ी की आवाज़ है।”

बाहर से गोलियों की गूँज तेज़ हो चुकी थी। धूल, धुआँ और डर चारों तरफ़ फैल चुका था। लेकिन उन दीवारों पर, जिन पर कभी बच्चों ने अक्षर लिखे थे, अब इहान की आवाज़ गूंज रही थी — “ये स्कूल नहीं, सच की मज़ार है। और सच की मज़ार कभी ढहती नहीं। और तभी… दरवाज़ा टूटा। साया भीतर दाख़िल हुआ।

Google pe name nahin hai Part 6 सच का प्रसारण

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दरवाज़ा टूटते ही कमरे में धूल और लकड़ी के टुकड़े बिखर गए। हथियारबंद लोग अंदर घुस आए, और उनके पीछे खड़ा था वही साया। कमरे में बस कैमरे की लाल झिलमिल रोशनी जल रही थी, जिससे हर चेहरे पर डर और हिम्मत दोनों साफ़ दिख रहे थे।

साया ने चारों तरफ़ नज़र दौड़ाई। उसकी आँखें ठंडी और नुकीली थीं। वो धीरे-धीरे आगे बढ़ा, जैसे उसे यकीन हो कि कोई उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकता। उसके पीछे खड़े हथियारबंद सैनिकों ने बंदूकें तान दीं। लेकिन इहान ने एक कदम भी पीछे नहीं हटाया। उसने कैमरे की तरफ़ इशारा किया और कहा,

“ये देख रहे हो? अब पूरी दुनिया देख रही है कि तुम क्या कर रहे हो।”साया हल्का-सा मुस्कुराया। “तुम्हें लगता है, ये कैमरा मेरी सच्चाई दिखा देगा? मैं सच लिखता नहीं, मिटाता हूँ।”

“नहीं,” इहान ने दृढ़ आवाज़ में कहा, “तुम मिटा सकते हो नाम, चेहरे, कहानियाँ… लेकिन सवाल कभी नहीं मिटते। और ये बच्चे ही वो सवाल हैं।”

इतना सुनते ही जुनैद ने अचानक सर्वर ऑन कर दिया। बिजली तो काट दी गई थी, लेकिन उसने एक छुपा हुआ पावर बैकअप पहले ही तैयार किया था। कैमरे की रिकॉर्डिंग अब सिर्फ़ रिकॉर्ड नहीं कर रही थी, बल्कि एक लोकल नेटवर्क से लाइव बाहर भेजी जा रही थी। स्क्रीन पर मैसेज आया — “Live Transmission: Active.”

सैनिकों ने तुरंत आगे बढ़कर कैमरा तोड़ने की कोशिश की। लेकिन सबा उनके सामने खड़ी हो गईं। उनकी आँखों में डर बिल्कुल नहीं था। “अगर इसे तोड़ोगे, तो पहले मुझे गिराना पड़ेगा,” उन्होंने कहा। हथियारबंद सैनिक पलभर को हिचकिचा गए।

साया ने हाथ उठाकर उन्हें रुकने का इशारा किया। वो धीरे-धीरे इहान के बिल्कुल करीब आ गया। उसकी आवाज़ अब और धीमी लेकिन ज़हर जैसी थी —तुम सोचते हो कि इस छोटी-सी रिकॉर्डिंग से दुनिया बदल जाएगी? दुनिया भूखी है, मजबूर है, और डर के नीचे दबाई गई है। उन्हें परवाह नहीं।”

इहान ने उसकी आँखों में सीधा देखा और कहा, “परवाह कोई करेगा या नहीं, ये मैं नहीं जानता। लेकिन आज, इस रात का सच कहीं न कहीं दर्ज हो रहा है। और दर्ज हुआ सच कभी मिटाया नहीं जा सकता।”

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साया की मुस्कान गायब हो गई। उसने इशारा किया और दो सैनिक आगे बढ़े। तभी तहख़ाने से बच्चों की आवाज़ गूँजी —हम डरेंगे नहीं! हम डरेंगे नहीं!”

वो आवाज़ इतनी बुलंद थी कि हथियारबंद सैनिक भी चौंक गए। जुनैद ने कैमरा उनकी तरफ़ घुमा दिया, और अब स्क्रीन पर दर्जनों बच्चों के चेहरे चमक रहे थे — मासूम, मगर मज़बूत।

साया पलटा, और पहली बार उसकी आँखों में झुंझलाहट साफ़ दिखी। उसने चिल्लाकर कहा — “कनेक्शन काट दो!”लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। लाइव ट्रांसमिशन इंटरनेट के कई लोकल नोड्स से होते हुए बाहर की दुनिया तक पहुँच चुका था।अब सच कैद नहीं था। वो बाहर उड़ चुका था।

आख़िरी टकराव

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जैसे ही स्क्रीन पर “Live Transmission Active” चमका, साया का चेहरा बदल गया। उसकी ठंडी मुस्कान अब एक गुस्से में बदल चुकी थी। उसने अपने सैनिकों की ओर देखा और दहाड़ा — “फायर!”

गोलियों की बौछार पूरे कमरे में गूँज गई। शीशे टूटे, दीवारों से धूल झड़ने लगी। लेकिन कैमरे की लाल लाइट अब भी जल रही थी। इहान, सबा और जुनैद फ़र्श पर झुक गए, जबकि बच्चे तहख़ाने से “हम डरेंगे नहीं!” के नारे लगाते रहे। उनकी मासूम आवाज़ें गोलियों के शोर से भी ऊँची थीं।

सबा ने ज़मीन पर रेंगते हुए जुनैद से कहा, “सर्वर बचा रहना चाहिए, चाहे कुछ भी हो।” जुनैद ने अपने जैकेट में छुपी हार्ड ड्राइव को कसकर पकड़ा। “ये सिर्फ़ मशीन नहीं, हमारी सांस है,” उसने जवाब दिया।

इसी बीच, बाहर से अचानक एक और धमाका हुआ। किसी ने स्कूल के पिछले हिस्से में ग्रेनेड फेंका था। धुआँ और आग का गुबार फैल गया। बच्चों की चीखें सुनकर इहान का दिल काँप उठा। उसने उठकर कैमरा सीधे साए की तरफ़ घुमा दिया।

अब दुनिया तुझे देख रही है!” इहान चिल्लाया।साया ठिठका, लेकिन उसने तुरंत बंदूक उठाई और कैमरे पर तान दी। उसकी उंगली ट्रिगर पर थी — तभी…

स्क्रीन पर एक नोटिफिकेशन पॉप-अप हुआ — “10,000 viewers connected…” फिर अगले ही पल — “50,000 viewers…” और कुछ सेकंड बाद — “1,00,000 viewers LIVE.”

इंटरनेट पहले बंद किया गया था, लेकिन जुनैद ने लोकल नेटवर्क को एक गुप्त सैटेलाइट लिंक से जोड़ा था। अब पूरी दुनिया देख रही थी।सैनिकों की हिम्मत टूटने लगी। वो एक-दूसरे की तरफ़ देखने लगे। कोई फुसफुसाया, “हमारा चेहरा छिपा नहीं रहेगा…”

बच्चों ने तहख़ाने से एक साथ चिल्लाना शुरू किया — “सच ज़िंदा है! सच ज़िंदा है!साया ने क्रोध में ट्रिगर दबाया, लेकिन उसी पल सबा ने सामने आकर धक्का दिया। गोली उनके कंधे को छूती हुई निकल गई और दीवार में धँस गई। इहान ने झपटकर कैमरा उठाया और लाइव में चिल्लाया —

यूट्यूब वीडियो 11 मिलियन व्यूज़ 

“ये है Ghost Cell का असली चेहरा! बच्चों की आवाज़ से डरते हैं ये लोग। यही है उनका सच!उस वक़्त बाहर पुलिस की गाड़ियों के सायरन और भी तेज़ सुनाई देने लगे। लेकिन ये वही सरकारी पुलिस नहीं थी — ये आम लोग थे, पड़ोसी, पत्रकार, और कुछ स्वतंत्र कार्यकर्ता, जिन्हें लाइव देखकर यहाँ खींच लाया था। बाहर भीड़ इकट्ठा हो गई थी।

सैनिक घबराकर पीछे हटने लगे। उनका कंट्रोल टूट रहा था।साया ने आख़िरी बार इहान की तरफ़ देखा। उसकी आँखों में गुस्से से ज्यादा अब एक डर था — डर इस बात का कि अब उसे छुपाना असंभव है। वो धुएँ में गुम होते हुए पीछे हट गया और चिल्लाया — “ये खत्म नहीं हुआ… मैं लौटकर आऊँगा!”

और फिर वह रात… सच की जीत और झूठ की हार की गवाह बन गई। गोलियों की गूँज थम चुकी थी, लेकिन बच्चों के नारे अब भी गूँज रहे थे —“हम डरेंगे नहीं!”

इहान ने कैमरे को बंद करने से पहले धीरे-से कहा —आज से ये नाम Google पर नहीं, लोगों के दिलों में मिलेगा।”

साया की वापसी

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सुबह की पहली किरण जब टूटी-फूटी “उम्मीद शाला” की दीवारों पर पड़ी, तो लगता था जैसे पूरी रात का अंधेरा वहीँ दब गया हो। बच्चे अब भी थके हुए थे लेकिन उनकी आँखों में नींद से ज्यादा उम्मीद चमक रही थी। स्कूल के बाहर दर्जनों लोग जमा थे — कोई पत्रकार, कोई आम इंसान, और कुछ वो चेहरे जिन्हें अब तक सच से डर लगता था लेकिन आज पहली बार उन्होंने हिम्मत जुटाई थी।

हर कोई इहान, जुनैद और सबा की तरफ़ देख रहा था जैसे वो अब सिर्फ़ इंसान नहीं, बल्कि उस लड़ाई के प्रतीक बन चुके हों जो “Google pe name nahin hai” से शुरू हुई थी।लेकिन इस जीत के बीच एक डर भी ज़िंदा था — साया। उसकी आख़िरी चीख़ सबके कानों में गूँज रही थी, “ये खत्म नहीं हुआ… मैं लौटकर आऊँगा।”

जुनैद ने हार्ड ड्राइव कसकर पकड़ी और धीरे से कहा, “ये आग हमने जलाई है, लेकिन इसकी राख भी संभालनी होगी। Ghost Cell ऐसे हार नहीं मानता।सबा ने अपने ज़ख़्मी कंधे पर पट्टी कसते हुए जवाब दिया, “हाँ… और वो सिर्फ़ लौटेगा ही नहीं, इस बार और भी खतरनाक होगा। क्योंकि अब सच सिर्फ़ उसके खिलाफ़ नहीं, उसकी पूरी व्यवस्था के खिलाफ़ खड़ा है।”

इहान चुप था। उसके हाथ में अब भी वही कैमरा था जिसकी लाल बत्ती रात भर चमकती रही थी। उसने आसमान की तरफ़ देखा और बुदबुदाया, “सच जीतता है… लेकिन हर जीत की कीमत होती है।”

इसी बीच भीड़ में से एक आदमी आगे आया। उसके हाथ में मोबाइल था और स्क्रीन पर वही लाइव रिकॉर्डिंग चल रही थी जो कल रात दुनिया ने देखी थी। उसने कहा, “तुम लोगों ने हमें डर से आज़ाद किया है। लेकिन क्या तुम जानते हो कि उस रात कितने देशों में ये देखा गया? पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, यहाँ तक कि यूरोप में भी ये ट्रेंड कर रहा है।”

भीड़ में हलचल मच गई। बच्चों ने तालियाँ बजानी शुरू कीं। लेकिन इहान का दिल और भारी हो गया। उसे पता था कि ये लड़ाई अब सिर्फ़ एक शहर या देश की नहीं रही — ये एक आंदोलन बन चुकी थी। और हर आंदोलन की तरह, इसके दुश्मन भी कई गुना बढ़ चुके थे।

अचानक भीड़ में से एक औरत चीख़ पड़ी। सबकी नज़रें उसकी तरफ़ गईं। उसने काँपते हाथ से आसमान की ओर इशारा किया। बादलों के बीच एक ड्रोन मंडरा रहा था — वही Ghost Cell का निगरानी ड्रोन।

जुनैद ने फौरन बच्चों को अंदर भेजने की कोशिश की, लेकिन देर हो चुकी थी। ड्रोन से एक अजीब सी बीपिंग आवाज़ आने लगी। सबा ने चीख़कर कहा, “ये सर्विलांस नहीं, ट्रैकिंग है!”

भीड़ घबराकर इधर-उधर भागने लगी। बच्चे फिर से डर के घेरे में आ गए।इहान ने कैमरे को ड्रोन पर तान दिया और चिल्लाया, “रिकॉर्ड करो इसे! ये लौट आया है!”

ड्रोन की लाल बत्ती और तेज़ हो गई, और आसमान से एक ठंडी, रोबोट जैसी आवाज़ गूँजी —Phase Two: Activated.”भीड़ जम गई, हर कोई आसमान की तरफ़ देख रहा था। ड्रोन अब धीरे-धीरे नीचे उतर रहा था, उसकी लाल बत्ती चमक-चमक कर मानो चेतावनी दे रही हो। अचानक उसकी स्क्रीन पर साए का चेहरा उभरा — धुंधला, लेकिन साफ़ इतना कि सब पहचान लें।

उसने ठंडी हँसी के साथ कहा,

“मैंने कहा था, ये खत्म नहीं हुआ। तुमने मुझे दुनिया के सामने ला दिया, अब मैं तुम्हें दुनिया के सामने मिटाऊँगा। Phase Two शुरू हो चुका है।”

सबा ने धीरे से फुसफुसाया, “Phase Two मतलब… अब सीधा हमला। ड्रोन से एक नीली रोशनी निकली और जमीन पर गिरते ही चारों तरफ़ अजीब-सी लहर फैल गई। जुनैद के हाथ का मोबाइल झटके से बंद हो गया, लोगों के कैमरे और इंटरनेट एक साथ फेल हो गए।

“EMP…!” जुनैद चीखा, “ये सारे इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम खत्म कर देगा! इहान ने कैमरा कसकर पकड़ा, लेकिन उसकी स्क्रीन भी झिलमिलाने लगी। भीड़ घबराकर भाग रही थी, बच्चे फिर से सिसकियाँ भर रहे थे। और साए की आवाज़ आसमान से गूँज रही थी —अब देखो, सच कैसे अंधेरे में दम तोड़ता है।

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