43 gayab hote logon ki kahani part 8

 43 gayab hote logon ki kahani part 8 सारा की आख़िरी फुसफुसाहट

43 gayab hote logon ki kahani part 8

नीली रौशनी से चमकता हुआ दरवाज़ा अब खुलने को था।भीड़ में सन्नाटा था, हर किसी की नज़र आरिफ़ पर टिकी हुई।उसके दिल की धड़कन तेज़ थी — क्योंकि वो जानता था, अगला कदम उसे अयान तक ले जाएगा।लेकिन उसी वक़्त एक और आवाज़ गूँजी।रुक जाओ आरिफ़!”आरिफ़ ने पीछे मुड़कर देखा।

वो सारा ख़ान थी — अधूरी परछाई जैसी, मगर उसकी आँखों में आग थी।अगर अयान तक पहुँचना है,” सारा ने धीमे मगर सख़्त लहजे में कहा,तो सच सुनना पड़ेगा। तुम्हारा भाई सिर्फ़ ग़ायब नहीं हुआ…वो एक ऐसा राज़ जानता है, जो पूरे शहर की नींव हिला सकता है।”

भीड़ में हलचल मच गई।आरिफ़ के कदम जम गए।कौन सा राज़?और मेरा भाई कहाँ है?”सारा की आँखें काँपीं।तेरा भाई अयान… उन लोगों की असली साज़िश जान गया था जिन्होंने ये सब किया।वो जानता है कि लोगों का ग़ायब होना सिर्फ़ हादसा नहीं हैं…

बल्कि एक तयशुदा खेल है।और अगर अयान बोल पड़ा… तो सब बेनक़ाब हो जाएगा।आरिफ़ का दिल और तेज़ धड़कने लगा।उसने दरवाज़े की तरफ़ देखा — वहाँ अब भी धुंधली सी अयान की परछाई झिलमिला रही थी।लेकिन उसी पल, कुछ अजीब हुआ।

सारा की आवाज़ अचानक रुक गई।उसके होंठ हिल रहे थे, मगर आवाज़ बाहर नहीं निकल रही थी।वो जैसे invisible धागों में बँध गई हो।“सारा!!” आरिफ़ चिल्लाया।भीड़ हक्की-बक्की देख रही थी —

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सारा ख़ान धीरे-धीरे उसी रौशनी के समाने जा लगी।उसकी उँगलियाँ अब भी किसी अदृश्य फाइल को पकड़े थीं…मगर उसकी पूरा जिस्म नीले धुंध में खो गया।कुछ ही सेकंड में, वो सामने से ग़ायब हो चुकी थी।आरिफ़ अवाक खड़ा रह गया।

बस उसके कानों में सारा की आख़िरी फुसफुसाहट गूँजी —अयान तुझसे सच कहेगा…लेकिन उस सच की क़ीमत तुझे चुकानी होगी।कमरा काँप उठा।दरवाज़ा अब पूरी तरह खुल चुका था।अंदर गहरी अंधेरी सुरंग थी,और सुरंग की गहराई से आती आवाज़ —“आरिफ़…”वो अयान की आवाज़ थी।

लेकिन उसमें कोई छुपा हुआ राज़, कोई अनकहा डर साफ़ झलक रहा था।आरिफ़ ने सबकी तरफ देखा, और बिना देर किए अंधेरे में कदम रख दिया।उसका भाई उसे पुकार रहा था…और उसके पास अब लौटने का कोई रास्ता नहीं था।

43 gayab hote logon ki kahani part 8 सुरंग की पुकार

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आरिफ़ का दिल धड़क नहीं रहा था, बल्कि उसके सीने में हथौड़े की तरह बज रहा था। सामने खुला दरवाज़ा मानो किसी अज्ञात गहराई की ओर खींच रहा था। नीली रोशनी अब धुंध में बदल चुकी थी और उसी धुंध से उसके भाई अयान की आवाज़ बार-बार गूँज रही थी —“आरिफ़… जल्दी आओ…”

भीड़ चुप थी। सबके चेहरों पर डर और उम्मीद का मिला-जुला असर था। किसी ने फुसफुसाकर कहा, “ये सुरंग मौत भी हो सकती है और मुक्ति भी…” लेकिन आरिफ़ ने किसी की बात पर ध्यान नहीं दिया। उसके लिए अब सिर्फ़ एक ही सच बचा था — उसका भाई।

उसने गहरी साँस ली और दरवाज़े के उस पार कदम रख दिया। जैसे ही उसका पाँव अंधेरे में पड़ा, उसके चारों ओर हवा का तेज़ झोंका उठा। ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके जिस्म को ठंडी आग में लपेट लिया हो। पीछे खड़े लोग उसकी आकृति को धुंध में खोते देखते रहे।सुरंग लंबी थी, बहुत लंबी। वहाँ कोई आवाज़ नहीं थी सिवाय उसके अपने साँसों की और दीवारों से टकराकर लौटती उसकी चाल की गूँज की। पर बीच-बीच में वही पुकार सुनाई देती —

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“आरिफ़… मुझे सच कहने से रोका गया है… मगर तू आ जाएगा तो मैं चुप नहीं रहूँगा।आरिफ़ के कदम रुक गए। उसकी आँखें फैल गईं। ये क्या था?क्या उसका भाई सचमुच ज़िंदा है?या ये उसी खेल का हिस्सा है जिसने पहले ही 43 ज़िंदगियों को ग़ायब कर दिया था अचानक दीवारों पर नीली लकीरें उभरने लगीं। लकीरें आपस में जुड़कर नक्शों जैसी आकृतियाँ बनाने लगीं। कहीं पेड़ का नक्शा, कहीं शहर की सड़कें, और कहीं जेल की सलाखें। आरिफ़ ने देखा कि एक नक्शा धीरे-धीरे उसके सामने उभरा — और उस नक्शे में साफ़-साफ़ आयान का नाम लिखा था।

आरिफ़ ने काँपते हुए हाथ बढ़ाया और उस नक्शे को छू लिया।जैसे ही उसकी उँगलियाँ रोशनी से टकराईं, सामने से अचानक किसी के पैरों की आहट गूँजी।उसका दिल छलाँग मारकर गले तक आ गया।सामने अंधेरे से एक आकृति बाहर आई।वो दुबला-पतला, थका हुआ मगर जिंदा इंसान था।उसकी आँखें बुझी-बुझी थीं, मगर उनमें वो पहचान अब भी चमक रही थी।आरिफ़ की आँखों में आँसू भर आए — अयान…!!!”

अयान ने सर उठाकर अपने भाई को देखा।उसके होंठ काँपे, और धीमे से उसने कहा —आरिफ़… तुझे यहाँ नहीं आना चाहिए था।क्योंकि जो राज़ मैं जानता हूँ वो न तुझे जीने देगा, न मुझे।”उसकी बात सुनकर आरिफ़ का खून जम गया।यह वही लम्हा था जिसके लिए वो जी रहा था, मगर अब उसे लग रहा था कि उसके भाई के पास ऐसा सच है जो शायद दुनिया के लिए भी बहुत भारी हो।

अयान का बोझिल सच

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आरिफ़ ठिठक गया। उसके सामने उसका भाई खड़ा था — मगर वैसा नहीं जैसा उसने सोचा था। अयान की आँखों के नीचे गहरी स्याह रेखाएँ थीं, होंठ सूखे हुए और चेहरे पर ऐसा डर था, जैसे वो कई सदियों से किसी बोझ तले दबा हो।आरिफ़ आगे बढ़ा और उसके कंधे पकड़ लिए।अयान मैं तुझे ढूँढते-ढूँढते यहाँ तक आ गया। सब लौट आए… मगर तू—तू क्यों ग़ायब रहा? तूने मुझसे दूर रहना क्यों चुना?”

अयान की आँखों में आँसू तैर गए।उसने धीरे से सिर झुका लिया और बोला,आरिफ़… मैंने तुझे कभी छोड़ना नहीं चाहा था। मगर सच ने मुझे बाँध दिया। वो सच जो किसी किताब में लिखा नहीं, जिसे किसी अदालत ने सुना नहीं। ये सब लोग जो ग़ायब हुए थे… ये सब एक ही साज़िश का हिस्सा थे। और उस साज़िश का नाम लेना भी मौत को बुलाना है।”

आरिफ़ ने हैरानी से कहा,कौन सी साज़िश? और कौन लोग हैं इसके पीछे?”अयान  काँपा।उसने चारों तरफ़ देखा, जैसे दीवारों में छिपे किसी जासूस से डर रहा हो। फिर बहुत धीमी आवाज़ में बोला,ये सब सिर्फ़ ग़ायबियाँ नहीं हैं… ये एक चयन है।हर शख़्स जिसे उठाया गया, वो किसी न किसी सच का गवाह था।किसी ने भ्रष्टाचार देखा, किसी ने कत्ल, किसी ने धोखा।

और जब इन गवाहों की गिनती बढ़ने लगी, तो उन्हें मिटाने के लिए ये खेल रचा गया।”आरिफ़ के पैरों तले ज़मीन खिसक गई।तो… तू भी किसी राज़ का गवाह था?”अयान ने उसकी आँखों में देखा।हाँ… मैंने वो नाम सुना था, वो लोग देखे थे…जिन्होंने ये पूरा जाल बिछाया।

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आरिफ़, ये खेल किसी एक गली या मोहल्ले तक सीमित नहीं है।ये शहर की नींव में बसा है।और अगर मैंने ये नाम ज़ुबान पर ला दिए…तो तू भी उसी ग़ायबी का शिकार होगा।”आरिफ़ की साँसें तेज़ हो गईं।उसने अपने भाई के हाथ पकड़ लिए।मैं तुझे यहाँ से ले जाऊँगा। तू अब अकेला नहीं है।लेकिन ये सच… ये अब दफ़न नहीं रहेगा।

जिसने भी ये किया है, उसे सामने आना होगा।”ने सिर हिलाया।उसकी आँखों से आँसू ढलक पड़े।तुझे नहीं पता, आरिफ़। ये सच सामने आया तो सिर्फ़ गुनहगार नहीं, पूरा शहर हिल जाएगा।लोगों की आँखों से भरोसा छिन जाएगा।

और मैं… मैं अब सिर्फ़ गवाह नहीं हूँ।मैं इस खेल की कुंजी हूँ।”आरिफ़ ने काँपते होंठों से पूछा,कुंजी? किस चीज़ की?”अयान  का चेहरा सख़्त हो गया।उसने गहरी साँस ली और धीमे से कहा —उस फाइल की, जिसे सारा ख़ान छुपा रही थी।उस फाइल में नाम हैं…और वो नाम… तुझे नहीं सुनने चाहिए।”

आरिफ़ का दिल जोर से धड़का।सारा, जो अभी-अभी उसके सामने गायब हुई थी…क्या वो फाइल सचमुच उसके पास थी?और अगर हाँ, तो अब वो कहाँ गई?अयान ने काँपते हुए जोड़ा,अगर वो फाइल हाथ लग गई…तो ये दरवाज़े हमेशा के लिए खुल जाएँगे।और तब… न कोई लौटेगा, न कोई छुपेगा।

फाइल का राज़ और नया सफ़र

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आरिफ़ के कानों में अयान के शब्द गूँजते रहे — “उस फाइल में नाम हैं… और वो नाम… तुझे नहीं सुनने चाहिए।”उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा। वो फाइल, जिसके बारे में उसने कभी सोचा भी नहीं था, अब इस पूरे खेल की धुरी बन चुकी थी।लेकिन सवाल ये था कि सारा कहाँ गई?

अभी कुछ देर पहले ही सारा उसके सामने खड़ी थी, उसकी आँखों में एक अजीब-सी बेचैनी थी। उसने कुछ कहने की कोशिश की थी, मगर अचानक उसकी परछाई दीवार पर सिमट गई और वो गायब हो गई।अब जब अयान ने फाइल का ज़िक्र किया, तो आरिफ़ को लगा — क्या सारा जान-बूझकर गई? या उसे उठा लिया गया?

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आरिफ़ ने अयान की ओर मुड़कर कहा,भाई, अगर फाइल सारा के पास है, तो हमें उसे ढूँढना ही होगा।वो गायब हुई है तो किसी कारण से… और अगर दुश्मन उसे पकड़ ले गए, तो फाइल उनके हाथ लग जाएगी।”अयान ने थकी हुई आवाज़ में कहा,तू समझ नहीं रहा, आरिफ़।वह फाइल सिर्फ़ काग़ज़ों का पुलिंदा नहीं है।ये गवाही की किताब है।

हर वो नाम, हर वो चेहरा… जो इस सिस्टम को हिला सकता है।और जो भी इसे अपने पास रखता है, उसकी ज़िंदगी एक धागे पर टिकी रहती है।”आरिफ़ ने उसकी आँखों में देखा।तो इसका मतलब है कि सारा ख़ान भी उसी खेल का हिस्सा थी?या शायद… उसे इसीलिए चुना गया कि वो वकील है।उसकी गवाही अदालत में वज़न रखती।”

अयान चुप रहा। उसकी चुप्पी ही उसकी हामी थी।उस पल आरिफ़ के दिल में डर और गुस्सा दोनों भड़क उठे।अगर ये सच है, तो सारा की ग़ायबी महज़ एक हादसा नहीं, बल्कि किसी की चाल थी।अचानक, कमरे की दीवार पर बनी दरारों से फिर नीली रोशनी टपकने लगी।वो रोशनी अब गोलाकार लकीरों में बदल रही थी, मानो नक्शा फिर से ज़िंदा हो गया हो।

भीड़ में खड़े 43 लोग सहम गए। किसी ने काँपती आवाज़ में कहा,ये वही रास्ता है… जहाँ से सारा को ले जाया गया।आरिफ़ ने बिना वक्त गंवाए हाथ बढ़ाकर अयान की कलाई पकड़ ली।भाई, चाहे जो हो, हमें सारा को ढूँढना होगा।और अगर उस फाइल में नाम हैं, तो हमें वो भी चाहिए।

क्योंकि जब तक सच सामने नहीं आएगा…ये खेल ख़त्म नहीं होगा।”अयान ने काँपते होंठों से कहा,“लेकिन आरिफ़, ये रास्ता… वापसी नहीं देता।जो इस लकीर में क़दम रखेगा, वो या तो सच पाकर लौटेगा…या फिर उसी शून्य में गुम हो जाएगा।”आरिफ़ ने उसकी ओर गहरी नज़र से देखा और धीमे से कहा,तो चल भाई… अब सच की कीमत चुकाने का वक्त आ गया है।”

दोनों ने साथ-साथ उस नीली लकीर पर क़दम रखा।कमरा हिलने लगा, और बाकी 43 चेहरों ने एक साथ चीख मारी।मानो वो जानते हों — ये सफ़र अब सिर्फ़ आरिफ़ और अयान का नहीं है।ये उनका भी इम्तिहान है… जिनके नाम उस फाइल में दर्ज हैं।

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