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Google pe name nahin hai part 5 साया जो दस्तावेज़ों से तेज़ था

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फाइलों के पन्ने हवा में उड़ते ही नहीं, जैसे चीख़ने लगे थे — हर एक काग़ज़ पर दर्ज सच अब आज़ाद होना चाहता था। लेकिन इहान के हाथों से जैसे समय फिसल रहा था। उसने कुछ अहम दस्तावेज़ जल्दी-जल्दी बैग में भरने शुरू किए, लेकिन तभी पीछे से ज़मीन पर कोई भारी कदमों की आहट आई — ठहराव भरी, जानलेवा ख़ामोशी को चीरती हुई।

वो साया अब साफ़ नज़र आ रहा था। लंबा कद, चेहरा अब भी परछाई में छिपा, लेकिन चाल में वो ट्रेनिंग थी जो किसी आम आदमी की नहीं हो सकती थी। इहान ने तुरंत टॉर्च बंद की और पास की एक अलमारी के पीछे छिप गया। उसके दिल की धड़कनें अब उसके कानों में गूंजने लगी थीं — तेज़, बेकाबू।

साया सीधे उस अलमारी की ओर बढ़ा जहां दस्तावेज़ थे। उसने एक पन्ना उठाया, उसे देखा, फिर ज़मीन पर फेंक दिया — जैसे वो जानता हो कि असली सबूत कौन से हैं, और किसे नष्ट करना है। उसके हाथ में अब एक छोटी-सी डिवाइस थी  शायद कोई पोर्टेबल शेडर। वह एक-एक कर फाइलें जलाने लगा।

इहान ने देखा — उसके बैग में जो फाइलें थीं, उनमें से कई की कॉपियाँ अब जल रही थीं। वक्त उसके खिलाफ़ था। उसने धीरे से फोन निकाला और कैमरा ऑन कर दिया — छिपकर रिकॉर्डिंग शुरू की। यह साया कौन है, इसकी शक्ल भले न दिखे, पर उसकी हरकतें अब कैमरे में कैद हो रही थीं।

तभी, जलती हुई फाइलों के बीच, एक पन्ना गिरा — “Operation Sandglass — Timeline of Disappearances”. उस पर दर्ज था: Journalist:  Ihan – Status: Pre-Listed इहान की साँस जैसे रुक गई।वो सिर्फ़ सईद की कहानी लिखने नहीं आया था। वो खुद भी उस कहानी का हिस्सा था…

एक तयशुदा मोहरा, जो आज या तो खुद मिटा दिया जाएगा, या फिर वो नाम उजागर करेगा जिन्हें मिटा देने की क़सम खाई गई थी।साया रुक गया। उसकी नज़र सीधे उस अलमारी पर थी, जहाँ इहान छिपा था। अब या तो इहान भागे — जान बचाए…या फिर बाहर निकले — कैमरा उठाए…और सच का वो चेहरा सामने लाए, जिसे कोई देख नहीं रहा था…

Google pe name nahin hai part 5 आमना-सामना — डर के पार

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इहान की उंगलियाँ काँप रही थीं, लेकिन उसका कैमरा मज़बूती से रिकॉर्ड कर रहा था। बाहर निकलने का मतलब था मौत से आमना-सामना, लेकिन अंदर छिपे रहना — शायद उससे भी ज़्यादा खतरनाक था। क्योंकि अब वो जान चुका था कि अगला निशाना वही है।

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साया ने जैसे उस अलमारी के पीछे की साँसों को सुन लिया था। उसकी चाल रुक गई। कमरे की रौशनी मद्धम हो गई, जैसे किसी अदृश्य ताक़त ने बल्ब से भी डराने का समझौता कर लिया हो। इहान ने एक गहरी साँस ली, और अपने डर के ऊपर साहस की चादर डाल दी।वो अचानक बाहर निकला — एक हाथ में कैमरा, दूसरे में वही पन्ना जो गिरा था।

“रुको!” उसकी आवाज़ कमज़ोर थी, लेकिन साया के लिए काफी।साया जरा भी नहीं चौंका। उसने बस अपनी डिवाइस बंद की और धीरे-धीरे इहान की तरफ़ मुड़ा।चेहरा अब भी परछाई में था, लेकिन उसकी आँखें — उन आँखों में ऐसी ठंडक थी जैसे इंसान के अंदर कुछ बाक़ी ही न हो।

“इन्हें जलाने से सच नहीं मिटता,” इहान ने कहा।साया ने हल्के से गर्दन झुकाई, जैसे वो इहान की हिम्मत की तारीफ़ कर रहा हो — या फिर आख़िरी सलामी दे रहा हो।”तुम बहुत देर से जगे हो,” उसने पहली बार बोला। आवाज़ लोहे जैसी ठंडी थी।”लेकिन शायद अभी बहुत कुछ बाकी है,” इहान ने जवाब दिया। “और इस बार रिकॉर्डिंग चल रही है।”

साया ने एक क़दम आगे बढ़ाया — एकदम शांत, एकदम तयशुदा। इहान ने बैग को पीछे फेंका और दरवाज़े की ओर दौड़ा। बाहर अब भी रात की चुप्पी थी, लेकिन दूर कहीं साइरन की आवाज़ गूँज रही थी। शायद वो फ़ोन कॉल, जो उसने 10 मिनट पहले की थी, अब असर दिखा रही थी।

साया ने पीछा नहीं किया। उसने बस अपने जैकेट की जेब से एक पुराना बिल्ला निकाला — जिस पर लिखा था: “Internal Intelligence Division — Ghost Cell. वो मुस्कुराया, जैसे कह रहा हो — यह लड़ाई तो अभी शुरू हुई है।

इहान भाग चुका था। लेकिन उसके कैमरे में सिर्फ़ साया ही नहीं, सिस्टम का एक अदृश्य चेहरा भी क़ैद हो चुका था।और अब इहान सिर्फ़ पत्रकार नहीं रहा था…अब वो “मक़सद” बन चुका था।और “मक़सद” बनते ही, उसके हर क़दम, हर साँस पर निगाहें लग चुकी थीं। उसे अब अपने साये पर भी भरोसा नहीं रहा।

शिकारी और शिकार

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इहान भागते हुए अंधेरी गलियों से होता हुआ एक सुनसान पुल के नीचे पहुँचा। वहाँ उसका एक भरोसेमंद दोस्त पहले से मौजूद था — जुनैद, जो कभी सिविल इंजीनियर था लेकिन अब सिस्टम की खामियों को उजागर करने वाले अनगिनत डॉक्यूमेंट्स का संरक्षक बन चुका था।

“तेरा चेहरा देखकर लग रहा है जैसे मौत तुझे छूकर गई हो,” जुनैद ने कहा, हाथ में एक थरथराता थर्मस थामे।इहान ने हाँफते हुए कैमरा और पन्ना उसके सामने रखा। “ये देख, मैं अकेला नहीं हूँ जुनैद… वो, वो कोई आम क़ातिल नहीं है। वो ‘Ghost Cell’ से है — Internal Intelligence Division का हिस्सा। जो सच को झूठ की तरह मिटाता है, और फिर उस झूठ को हक़ीक़त बना देता है।”

जुनैद की आँखों का रंग उड़ गया। “Ghost Cell? इहान… ये तो वो लोग हैं जिनका नाम भी लेना मौत को दावत देना होता है। तुझे पता है, इनका पहला उसूल है — ‘जो दिखाई दे, वो नहीं होता… और जो होता है, वो कभी दिखाई नहीं देता।’ इहान ने जवाब में सिर्फ़ एक लफ़्ज़ कहा — “रिकॉर्डिंग।जुनैद ने कैमरे की स्क्रीन पर रिकॉर्डिंग चलाई। वो साया, उसकी आँखें, उसकी आवाज़, और वो अंतिम शब्द — सब अब डिजिटल सबूत बन चुके थे।

“अब क्या करेगा?” जुनैद ने पूछा।जो करना चाहिए,” इहान बोला। “मैं इसे लाइव करूँगा। दुनिया को दिखाऊँगा कि किस तरह एक अदृश्य जाल, इस मुल्क की आत्मा को निगल रहा है।लेकिन तभी…उस पुल के ऊपर एक लाल बत्ती चमकी — और हवा में एक भारी सी सरसराहट गूंजने लगी।

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ड्रोन!” जुनैद चिल्लाया। “यहाँ से निकल! इहान और जुनैद दोनों झट से नीचे की ओर दौड़े, जहाँ एक पुरानी सी मेट्रो टनल थी — सालों से बंद, लेकिन जुनैद के लिए हर गली की तरह यहाँ भी एक रास्ता था।टनल के अंदर अंधेरा था। लेकिन अंधेरे से अब डर नहीं लगता था — क्योंकि इहान जान चुका था कि सबसे बड़ा डर उस सच को दबा देना है, जो जले नहीं — बल्कि उजाला बन जाए।

अब गुमनाम नहीं

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वो दोनों एक छोटे से तहख़ाने में पहुँचे, जहाँ जुनैद ने एक पुराना सर्वर तैयार कर रखा था। “इससे हम लाइव जा सकते हैं। कोई सोशल मीडिया नहीं — Dark Web का नेटवर्क है ये। सरकार इसे पकड़ नहीं सकती।”इहान ने वीडियो को तैयार किया, थोड़ी-सी एडिटिंग, और फिर एक टाइटल लिखा

“Ghost Cell: एक देश का ग़ुमनाम दुश्मन”तू यक़ीन के साथ ये सब कर रहा है ? जुनैद ने पूछा। अब सवाल यक़ीन का नहीं, ज़िम्मेदारी का है,” इहान बोला।जैसे ही वीडियो लाइव गया — एक हलचल सी मच गई। कुछ मिनटों में ही हजारों लोगों ने देखा, फिर लाखों ने शेयर किया। यह कोई सामान्य पत्रकारिता नहीं थी — ये तख़्तों की नींव हिलाने वाला सच था।लेकिन सिस्टम जाग गया था।

इसी बीच, संसद में एक रहस्यमय बंद बैठक शुरू हो चुकी थी। कुछ नामचीन नेताओं के फोन अचानक बंद हो गए। कुछ पत्रकारों की आवाज़ें खामोश हो गईं। और…इहान का नाम, अब एक ‘रेड लिस्ट’ में डाला जा चुका था।अब तेरा नाम मक़सद नहीं, मिसाल होगा

इहान अब फरार था, लेकिन अकेला नहीं। हर शहर में, हर नुक्कड़ पर, कुछ चेहरे अब उस वीडियो को देखकर जाग चुके थे। जुनैद ने एक नई फ़ाइल दी — “ये देख। ये उस Ghost Cell का अगला मिशन है।”इहान ने फ़ाइल खोली — और दंग रह गया।अगला टारगेट एक स्कूल था। एक ऐसा स्कूल जहाँ समाज के दबे-कुचले बच्चों को जागरूक किया जा रहा था।

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मतलब अब वो बच्चों तक पहुँच चुके हैं?” इहान की आवाज़ काँपी। नहीं,” जुनैद ने मुस्कराकर कहा। “मतलब अब हम वो बूँद बन चुके हैं, जो समुंदर बन जाएगी।”इहान ने कैमरा उठाया — “चलो, अगली कहानी रिकॉर्ड करते हैं। लेकिन इस बार… रिकॉर्डिंग सिर्फ़ तस्वीर नहीं होगी, ये एक इंकलाब होगा।”और वहीं से एक नई लड़ाई शुरू हुई।एक पत्रकार की नहीं… एक ज़मीर की आवाज़।

आवाज़ जो सिर्फ़ लिखी नहीं जाती

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इहान और जुनैद अब सिर्फ़ दस्तावेज़ जमा करने या रिकॉर्डिंग करने वाले नहीं थे — अब वे एक अंडरग्राउंड नेटवर्क का हिस्सा बन चुके थे, जिसका एक ही मक़सद था: सच को बचाना, और उसे हर आवाज़ तक पहुँचाना।उस स्कूल का नाम था “उम्मीद शाला” — एक छोटा सा, टूटे हुए स्लेटों और मिट्टी की दीवारों वाला केंद्र, जो शहर के हाशिए पर था, लेकिन वहाँ से उठने वाली सोच सीधी सत्ता के दिल में चोट करती थी।

वहाँ के बच्चे किसी पब्लिक स्कूल के नहीं थे — वो वो बच्चे थे जिनके माँ-बाप को ‘काग़ज़’ कभी मिले ही नहीं थे। लेकिन यहाँ, उन्हें सवाल पूछना सिखाया जाता था। और यही बात Ghost Cell को बर्दाश्त नहीं थी।इहान और जुनैद रात के अंधेरे में स्कूल पहुँचे — पीछे से पुलिस की कोई मूवमेंट नज़र नहीं आ रही थी, लेकिन आसपास की गलियों में कुछ गाड़ियों की मौजूदगी असामान्य थी।

जैसे कोई उन्हें देख तो नहीं रहा, पर उनकी राह पर पहरा ज़रूर था।स्कूल की हेड, सबा अली, पहले से इन्फॉर्म थी। “मैं जानती थी, एक दिन ऐसा ज़रूर आएगा जब कोई इस दरवाज़े को बचाने आएगा, क्योंकि इसके पीछे सिर्फ़ बच्चे नहीं — भविष्य छिपा है।”इहान ने फौरन कैमरा ऑन किया — लेकिन इस बार उसका मक़सद सिर्फ़ ‘एक्सपोज़’ करना नहीं था, बल्कि उजाले को रिकॉर्ड करना था।तुम्हारा डर क्या है?” इहान ने सबा से पूछा।

मेरा डर ये नहीं कि वो हमें मिटा देंगे,” सबा ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरा डर ये है कि अगर हम चुप हो गए, तो वो सोच मिट जाएगी — जो इन बच्चों को इंसान बनने का हक़ देती है। उसी समय, दूर कहीं एक विस्फोट जैसी आवाज़ आई — शायद एक सब स्टेशन उड़ा दिया गया था। नेट कट गया। बिजली चली गई। लेकिन कैमरा अब भी चल रहा था, बैटरी पर।

जुनैद ने फुसफुसाते हुए कहा, “ये उनका सिग्नल है… ऑपरेशन शुरू हो चुका है।”इहान ने बच्चों को एक जगह इकट्ठा किया। उनकी आंखों में डर नहीं था — जिज्ञासा थी। उनमें वो ताक़त थी जो किसी साया से बड़ी होती है।

अब क्या?” सबा ने पूछा। इहान ने कैमरे की लाइट जलाई — बच्चों के चेहरों पर रौशनी पड़ी।”अब ये लड़ाई हमारी नहीं रही… अब ये लड़ाई इन चेहरों की है।”बाहर सायरन की आवाज़ें तेज़ होने लगी थीं। कुछ ही मिनटों में स्कूल को चारों ओर से घेर लिया जाएगा। लेकिन इस बार इहान भागने नहीं आया था।

उसने कैमरे को दीवार पर सेट किया, और एक नया संदेश रिकॉर्ड करने लगा:अगर तुम ये देख रहे हो, तो जान लो — ये कोई एक पत्रकार की लड़ाई नहीं। ये हर उस बच्चे की लड़ाई है जिसे सच बोलने से पहले चुप करा दिया जाता है। और अगर तुम अब भी चुप हो, तो अगला स्कूल शायद तुम्हारा होगा। अगला इहान… शायद तुम।”

कैमरा अब लाइव नहीं था — लेकिन मेमोरी में सच्चाई कैद हो चुकी थी।साया फिर आने वाला था… लेकिन इस बार, अकेला नहीं।क्योंकि अब एक क्रांति दस्तावेज़ों से बाहर निकल चुकी थी।

आख़िरी दरवाज़ा 

सायरन अब इतने पास आ चुके थे कि टूटी खिड़कियों के शीशे हल्के-हल्के कांप रहे थे। बाहर की हवा में धूल और बारूद की तेज़ गंध थी। इहान ने कैमरा फिर से रिकॉर्डिंग मोड में कर दिया, भले ही इंटरनेट बंद हो चुका था। उसे पता था कि अगर यह पल रिकॉर्ड नहीं हुआ, तो कल किसी को भी इन बच्चों के बारे में कुछ पता नहीं चलेगा, जैसे ये कभी थे ही नहीं। सबा ने बच्चों को पीछे के कमरे में भेज दिया। उनकी आँखों में डर से ज्यादा सवाल थे — “ये लोग हमें क्यों पकड़ने आ रहे हैं?” एक छोटे बच्चे ने धीरे से पूछा। सबा ने बस इतना कहा, “क्योंकि तुम सच बता सकते हो।”

जुनैद सर्वर की हार्ड ड्राइव निकाल रहा था। उसकी उंगलियाँ जल्दी-जल्दी तारें खोल रही थीं। “ये हमारी जान से भी ज्यादा कीमती है,” उसने इहान से कहा। इहान समझ गया कि वो सिर्फ हार्ड ड्राइव की बात नहीं कर रहा, बल्कि उस सबूत की बात कर रहा है जो अगर बच गया, तो Ghost Cell जैसी ताकत का सच सामने आ सकता है।

बाहर बूटों की आवाज़ अब दीवारों में गूंज रही थी। एक भारी आवाज़ मेगाफोन से चिल्लाई — “दरवाज़ा खोलो, वरना हम अंदर आ रहे हैं!” सबा ने इहान को देखा, उसकी नज़रें डर की नहीं बल्कि फैसले की थीं। “तुम्हें पीछे के दरवाज़े से निकलना होगा, ये बच्चे तुम्हारे साथ जाएंगे। मैं रुकूंगी।”

नहीं,” इहान ने सख्त लहजे में कहा। “अगर मैं भाग गया तो शायद एक और दिन जी लूंगा, लेकिन अगर हम तीनों यहीं खड़े होकर कैमरे में ये दिखा दें कि सच को दबाने के लिए लोग क्या-क्या कर सकते हैं, तो ये आख़िरी दरवाज़ा एक नया दरवाज़ा खोल सकता है।”

अचानक बाहर से जोरदार धमाका हुआ। दरवाज़े की कुंडी टूटने लगी। जुनैद ने हार्ड ड्राइव अपनी जैकेट में रखी और कैमरा दीवार पर सेट कर दिया ताकि आने वाला पूरा दृश्य रिकॉर्ड हो सके। अब ये कमरा एक मंच बन चुका था, और आने वाले कुछ सेकंड इसकी कहानी तय करने वाले थे।

दरवाज़ा टूटा और अंदर आए छह हथियारबंद लोग। उनके पीछे वही लंबा साया खड़ा था। इस बार उसका चेहरा आधा रोशनी में था — तेज़ जबड़े, पतले होंठ, और ठंडी आँखें। वो रुका, कमरे को देखा, और हल्की मुस्कान दी — “तो ये है तुम्हारा किला?”

इहान एक कदम आगे बढ़ा और बोला — “ये किला नहीं, आईना है। इसमें तुम्हारा चेहरा भी साफ दिख रहा है।”साया की मुस्कान थोड़ी कमज़ोर हुई, लेकिन उसकी आँखों में एक चालाकी अब भी थी। “तुम सोचते हो, एक वीडियो से कुछ बदल जाएगा ? नहीं,” इहान ने शांत स्वर में कहा, “एक वीडियो से आग नहीं लगती… लेकिन अगर आग पहले से जल रही हो, तो ये उसे फैला देता है।”

पीछे के कमरे में बच्चे धीरे-धीरे “हम डरेंगे नहीं” बोल रहे थे। उसी समय जुनैद ने सर्वर ऑन किया और एक अलग नेटवर्क से लाइव प्रसारण शुरू कर दिया।साया समझ गया कि ये सिर्फ घेराबंदी नहीं थी, बल्कि लाइव दिखाया जा रहा था। पहली बार उसकी आँखों में हल्की-सी घबराहट आई। अब दरवाज़े के बाहर सिर्फ गोलियों का डर नहीं था — वहाँ सच खड़ा था, जो कैमरे में कैद हो चुका था और दुनिया के सामने आने वाला था।

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